Tuesday 27 November 2012

रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा

PICS : रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा
दुनिया को स्वर्ग और नरक के अस्तित्व पर विश्वास हो न हो, पर आज से करीब 18 लाख साल पहले त्रेतायुग में लंकाधिपति रावण ने धरती से स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने का काम शुरू किया था। अगर सीढ़ी बनाने में राक्षसराज कामयाब हो जाता तो फिर स्वर्ग जाने के लिए अच्छे कर्मों और पुण्य-प्रताप की जरूरत नहीं पड़ती। बहरहाल, हम बात कर रहे हैं उस जगह की जहां से सोने की लंका के मालिक रावण ने इस कार्य की शुरुआत की थी। भले ही यह कार्य बीच में ही रोक दिया गया हो, पर सीढ़ियां बनाने के लिए लगाए गए चट्टान आज भी उसकी गवाही दे रहे हैं।  

PICS : रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा
झारखंड के घाटशिला जिले में स्थित गालूडीह से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों और जंगलों से घिरा एक गांव है दुआरसीनी। झारखंड के नरसिंहपुर से महज तीन किमी की दूरी पर बंगाल के पुरूलिया जिले में स्थित दुआरसीनी जाने के लिए बीहड़ जंगल से गुजरना पड़ता है। 

 PICS : रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा
 पुराणों में भी दुआरसीनी का जिक्र है। माना जाता है कि त्रेता युग में रावण ने यहीं पर स्वर्ग जाने की सीढ़ी बनानी शुरू की थी। पहाड़ की ऊंची चोटी तक गई सीढ़ीनुमा चट्टानों को लोग उसी युग का बताते हैं। संभवत इसी कारण इसका नाम दुआरसीनी पड़ा।

 PICS : रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा
 कलकल बहती सातगुरूम नदी के एक ओर ये चट्टानें हैं, तो दूसरी ओर अति प्राचीन मां दुआर यानि दुर्गा मां का मंदिर है। मंदिर के सामने वन विभाग द्वारा चट्टानों की लंबी सीढ़ी बनवाई गई है, जो पहाड़ तक जाती हैं। वनवासी गांवों की ओर ले जाने वाली पहाड़ी नदी सातगुरूम का सौंदर्य देखने वालों को रिक्षाता है। 

PICS : रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा 
जंगलों में शाम के समय अचानक अंधेरे को उतरते देखना काफी दिलचस्प लगता है। जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में आदिवासी गांवों से आती ढोल-नगाड़ों की लयबद्ध ध्वनियां चांदनी रात में मदहोश कर देने वाली होती हैं। मंदिर के सामने वन विभाग द्वारा चट्टानों की लंबी सीढ़ी बनवाई गई है, जो पहाड़ तक जाती हैं। वहां बच्चों के लिए आकर्षक चिड्रेन पार्क है।
 आस पास स्थित संथाल, मुंडा, शबरध, खेड़िया आदि जनजातियों के गांव आदिम जनजीवन का चित्र आंखों के सामने प्रस्तुत करते हैं। जंगल में भालू, जंगली सुअर, हाथियों, बिज्जू और भेड़िया के झुंड के साथ कुछ जाने-अनजाने पशु-पक्षियों को देखना आनंद से भर देता है। दुआरसीनी से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पह है भालो हिल्स । यहां प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के अवशेष देख सकते हैं

PICS : रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा 
प्राचीन महाकाव्यों और पुराणों में वर्णित यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का स्थान एक विख्यात पर्यटक स्थल के रूप में भी लंबे समय तक प्रसिद्ध रहा। लेकिन, आज यहां कोई नहीं आता। वजह है आज के रावणों यानि नक्सलियों का कब्जा। आज दुआरसीनी पर्यटक स्थल नक्सलियों के अघोषित कब्जे में है।

PICS : रावण यहीं से बना रहा था स्वर्ग की सीढ़ी, आज भी ‘राक्षसों’ का कब्जा
रावण ने बताया था क्यों फेल हुआ प्रोजेक्ट : जब रावण राम के बाण से गिर गया तो राम स्वयं उसके पास शिक्षा लेने गए थे। इसी समय रावण ने टाइम मैनेजमेंट और पॉजीटिव थिंकिंग की शिक्षा देते हुए कहा था कि अच्छे काम को टालना नहीं चाहिए और बुरे काम को जितना हो सके टालना चाहिए। रावण ने स्वर्ग की सीढ़ी वाले प्रोजेक्ट के संदर्भ में राम से कहा था, “अच्छे कार्यों को कभी नहीं टालना चाहिए। हो सकता है कि टालने के कारण उन कार्यों को करने का कभी अवसर ही न आए। मैंने सोचा था कि नरक का मार्ग बंद करवा दूंगा, ताकि किसी को परलोक में दु:ख न भोगने पडे़। दूसरा काम समुद्र के खारे पानी को निकाल कर उसे दूध से भर देने का था। तीसरा काम धरती से स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने का था, जिससे पापी-पुण्यात्मा सभी स्वर्ग तक पहुंच सकें।